हर घटना
एक समय बाद
एक समय बाद
इतिहास की घटना
बन जाती है
बन जाती है
युद्ध पानीपत का हो
या हल्दीघाटी का
या हल्दीघाटी का
आतंकी हमला मुंबई का हो
या पार्लियामेंट का
या पार्लियामेंट का
सभी घटनाएं इतिहास के
पन्नों में दर्ज हो जाती है
पन्नों में दर्ज हो जाती है
आने वाली पीढियाँ
इतिहासिक घटनाओं से
जब रूबरू होती है तब
महात्मा गाँधी, भगत सिंह और
सुभाष चन्द्र बोस जैसे प्रसंगों को
पढ़ कर उन्हें गर्व होता है
इतिहासिक घटनाओं से
जब रूबरू होती है तब
महात्मा गाँधी, भगत सिंह और
सुभाष चन्द्र बोस जैसे प्रसंगों को
पढ़ कर उन्हें गर्व होता है
लेकिन आज जब देशवासी
अपने देश के इतिहास में पढ़ते हैं कि
कि मुंबई आतंकी हमले के दोषी
कसाब को फाँसी की जगह
सरकार बिरयानी खिलाती रही
अपने देश के इतिहास में पढ़ते हैं कि
कि मुंबई आतंकी हमले के दोषी
कसाब को फाँसी की जगह
सरकार बिरयानी खिलाती रही
या पार्लियामेंट पर
आतंकी हमले के दोषी
अफजल गुरु को सरकार
दस वर्ष तक सजा देने में
नाकाम रही
आतंकी हमले के दोषी
अफजल गुरु को सरकार
दस वर्ष तक सजा देने में
नाकाम रही
तो उसका मन
इतिहास का सर्जन
करने वालो के प्रति
नफ़रत से भर जाता है
और उसका दिल
देश के इन कथित नेताओं को
चुल्लू भर पानी में डूब मरने
के लिए कहता है ।
कोलकता
३१ अक्टुम्बर २०११
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें