रविवार, 5 अगस्त 2012

अच्छा लगता है



अच्छा लगता है
सुबह की गर्म चाय के साथ
 अखबार का पढ़ना 

अच्छा लगता है
गुनगुनाती धूप में बैठ कर
 सर्दी को भगाना  

अच्छा लगता है
घर के आँगन में हरसिंगार के
 फूलों का महकाना 

अच्छा लगता है
घर आये मेहमान को
बांहों में भरना 

अच्छा लगता है
प्रातः काल में दोस्तों के साथ
 विक्टोरिया मे घूमना 

अच्छा लगता है
शर्मा की दूकान पर कचोड़ी 
के साथ गर्मागर्म जलेबी का खाना 

अच्छा लगता है
जो मन मे आये वो लिखना
और सहेज कर रख लेना



कोलकत्ता
१२  अगस्त, २०११


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