इतिहास बहुत पढ़ चुके
अब इसे पढ़ना छोडो
स्वयं इतिहास का
सर्जन करो
जिससे आने वाली पीढ़ी
पढ़ कर तुम पर
गर्व कर सके
जिंदगी तो
बिखरे दानों की तरह है
कुछ तो पंछी चुन गए
कुछ शेष है
कहीं ऐसा न हो कि
घर आया इतिहास का मेहमान
तुम्हारे यहाँ से
खाली हाथ चला जाए
और तुम्हारा नाम
इतिहास के सुनहरे पन्नो पर
दर्ज होने से ही रह जाए।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें