रविवार, 5 अगस्त 2012

इतिहास



इतिहास बहुत पढ़ चुके
अब इसे पढ़ना छोडो 
स्वयं इतिहास का
सर्जन करो 

जिससे आने वाली पीढ़ी
पढ़ कर तुम पर
गर्व कर सके

जिंदगी तो
बिखरे दानों की तरह है
कुछ तो पंछी चुन गए
कुछ शेष है 

कहीं ऐसा न हो कि 
घर आया इतिहास का मेहमान
तुम्हारे यहाँ से
खाली हाथ चला जाए 

और तुम्हारा नाम
इतिहास के सुनहरे पन्नो पर
दर्ज होने से ही रह जाए। 







 

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