सोमवार, 6 अगस्त 2012

बेटियाँ

      


हवा के  शीतल झोंके की
तरह  माँ- बाप
 की  प्यारी
होती हैं बेटियाँ |
 
घर खुशी से  महक
उठता  जब
 हँसती और
मुस्कराती हैं बेटियां  |

मर्यादा की  सीमाओं और
 संस्कारों  में 
पली-बड़ी
होती हैं बेटियां I

बड़ी होने से पहले ही 
 समझदार हो कर 
 आगे निकल
जाती हैं  बेटियां |

गले  में बांहों क़ा झूला बना  
 माँ को बचपन   
याद करा  
देती हैं बेटियां   ।

कोयल की  तरह मधुर
  स्वरलहरी  सुना 
 एक दिन
   उङजाती  हैं बेटियां  ।

दीवार पर पीले हाथों
 के   निशान लगा
आँगन छोड़
 जाती हैं बेटियां  ।
 
ससुराल में  पत्नी, बहू 
दिवरानी, भाभी 
जैसे रिश्ते
निभाती हैं बेटियां  ।


कोलकत्ता
११ अगस्त,२०११  

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