आदमी रो आदमी स्यूं
कोनी विसवास हुवे
थरप दियो भाटें ने
चढ़ावण लागग्यो
भाटों बण देवता पुजीजग्यो
जद विसवास उठ्ग्यो
जणा सोच्यो क्यूँ ने भाटे पर
विसवास करयो जावै |
कोनी विसवास हुवे
निराकार में
राखणो हुसी
आकार मुन्डागे |
थरप दियो भाटें ने
देवता बणाय ओ
मानली घडयोड़ी मूरत में
विसवास री खिमता |
चढ़ावण लागग्यो
मेवा र मिस्ठान
देवण लागग्यों
कुमकुम का छींटा |
भाटों बण देवता पुजीजग्यो
भोलो जीव पतीजग्यो |
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