सोमवार, 30 जुलाई 2012

अभिलाषा



आईने में अपना
चेहरा तो सभी देखते हैं
लेकिन मै जब आईना देखूँ और
चेहरा तुम्हारा साथ दिखे तो जानूँ 

मयखाने में जाकर तो 
सभी मदहोश होते हैं
तुम मेरी शरबती आँखों में झाँको और 
 मदहोश होकर दिखाओ तो जानूँ 

  खिलती कली पर तो
 सभी नग्मे गुनगुनाते हैं
तुम मेरे नाजुक लबों  पर कोई गीत
लिख कर गुनगुनाओ तो जानूँ 

गुलशन में खुशबू
तो सभी फूल बिखेरते हैं
तुम मेरी जिन्दगी में प्यार की  
खुशबू  बिखेर कर दिखाओ तो जानूँ  

दिन के उजाले में
तो सभी साथ चलते हैं
तुम अंधकार में दीप जलाकर 
मेरे साथ चल कर दिखाओ तो जानूँ 

यौवन तो चढ़ता सूरज है
ढलती उम्र में जब तम छाये और
तुम पूनम का चाँद बन कर
आओ तो जानूँ। 




कोलकत्ता
३० अगस्त, २०१०  

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