सोमवार, 30 जुलाई 2012

जुदाई


दूर तक साथ चलना था
राहे-सफ़र में हमें
पलभर भी दूर  रहना 
गँवारा नहीं था हमें 

लगता था एक-दूजे के लिए
ही बने थे हम
आज वो सारे कसमें -वादे
भूल गये हम

सौ जन्मों तक साथ निभाने
का वादा किया था हमने
अपने घर को स्वर्ग बनाने का
सोचा था हमने

कल्पना के गुलसन में अनेक
फूल खिलाये थे हमने
आज मधुमास को पतझड़ में
बदल दिया हमने 

अपनी ही बातों पर
रोज अड़ते रहे हम
एक दूसरे की बातों को
रोज काटते रहे हम

अपने-अपने स्वाभिमान
को टकराते रहे हम
एक दूसरे के दिल में
न तुम रह सके न हम  

छोटी-छोटी  बातो  ने
जुदा कर दिया हमको
हालात इतने  बदल जायेंगे
मालूम नहीं था हमको

कभी अपने ही रास्ते पर
फूल  बिछाये थे हमने
आज उसी रास्ते पर
 काँटे बिछा लिए हमने 

खंजर से नहीं बातों से ही
दिल टूटे थे हमारे
सारे हसीन ख्वाब
चूर हो गये थे हमारे

नहीं संभव अब हम फिर
इस जीवन में  साथ रहेंगे
एक आसमा के नीचे रह कर भी
हम अंजान बन रहेंगे।

कोलकाता
२४  अगस्त, २०१०   

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