रविवार, 29 जुलाई 2012

बाद आये,




बादल  आये  बादल आये
रंग - रंगीले  बादल  आये 

गड़-गड़ करते शोर मचाते
मानो  घोड़े   नभ  में उड़ते 

गोरे बादल,  काले बादल  
पानी  है  बरसाए  बादल 

चम-चम बिजली चमकाए
धुड़ूम- धुड़ूम पानी बरसाए 

अमृत जैसा जल बरसाते
नहीं किसी को ये तरसाते 

बरसाते ये नभ से मोती
चाँदी  जैसा बहता पानी 

महक उठी धरती से सोंधी   
हवा  हो  गई  ठंडी -  ठंडी 

जंगल  में  मंगल हो जाए 
बादल  जब पानी बरसाए। 




कोलकत्ता
१४ जनवरी, २०११


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