पढाई करके
जब कलकता कमाने निकला
जब कलकता कमाने निकला
तब यह सोच कर निकला कि
एक लाख कमाने के बाद
वापिस गाँव लौट आऊँगा
गाँव आकर
प्रकृति के संग रहूँगा
खेती करूँगा
गाय भैसों को पालूँगा
खालिश दूध के साथ गाय भैसों को पालूँगा
रोटी खाऊँगा
अपनी आठो याम
मस्ती के सँग जीऊँगा
मस्ती के सँग जीऊँगा
गाँव के बच्चों को
अपने ढंग से पढाऊँगा
अपने ढंग से पढाऊँगा
अस्पताल खुलवाऊँगा
सड़केँ बनवाऊँगा
बिजली लगवाऊँगा
शौचालय बनवाउँगा
सड़केँ बनवाऊँगा
बिजली लगवाऊँगा
शौचालय बनवाउँगा
अपने गाँव को एक
आदर्श गाँव बनवाऊँगा
आदर्श गाँव बनवाऊँगा
आज एक लाख
की जगह सैकड़ों लाख
कमा लिए लेकिन संतोष
की जगह सैकड़ों लाख
कमा लिए लेकिन संतोष
अभी भी नहीं है
अब मै टाटा,बिड़ला और
अम्बानी की जीवनियाँ
अब मै टाटा,बिड़ला और
अम्बानी की जीवनियाँ
पढ़ने लगा हूँ
एक कहावत है
सपने देखने
वालो के ही
वालो के ही
सपने पूरे होते हैं
और मै अब
और मै अब
इसी सच्चाई को
सच्च करने में लगा हुआ हूँ
मैंने अपनी चाहतों के
सच्च करने में लगा हुआ हूँ
मैंने अपनी चाहतों के
जो मोती कभी पिरोये थे
उन्हें आज भी पिरोना चाहता हूँ
उन्हें आज भी पिरोना चाहता हूँ
लेकिन बुद्धि तर्क दे कर
मन को समझा देती है
मन को समझा देती है
क्या करोगे वहाँ जाकर ?
जो काम तुम करना चाहते थे
वो सारे काम गांवों में
सरकार कर ही रही है
और जब सरकार कर ही रही है
तो तुम्हारे करने के लिए
वो सारे काम गांवों में
सरकार कर ही रही है
और जब सरकार कर ही रही है
तो तुम्हारे करने के लिए
ऐसा सिर्फ
मेरे साथ ही नहीं
बहुतों के साथ हुआ है ।
कोलकत्ता
३१ जुलाई, २०११
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