कुमकुम के छींटे
रचयिता- भागीरथ प्रसाद कांकाणी
मंगलवार, 31 जुलाई 2012
ताजमहल
मैंने भावुकता से कहा --
काश ! मै भी तुम्हारे लिए
एक ताजमहल बनवाता
पत्नि ने गंभीरता से कहा-
कागज़ की संगमरमरी देह पर
मेरे लिए लिखी तुम्हारी कवितायेँ
सौ ताजमहलों से भी बढ़ कर है।
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