रविवार, 29 जुलाई 2012

उड़ जाये चिड़िया फुर्र





मुर्गा  बाँग   लगाये   उससे
पहले  चिड़िया  उठ   जाती
 सूरज  के  उगने  से  पहले 
   आकर  मुझे   जगा   जाती   
बैठ मुंडेर के ऊपर -उड़ जाये चिड़िया फुर्र 

  चीं  -चीं  कर आँगन में आती   
घर में सबके   मन  को भाती
फुदक फुदक कर उडती जाती
बड़े  मजे   से   गाना    गाती
ले थोड़ा सा चुग्गा उड़ जाये चिड़िया फुर्र 

 जंगल - जंगल उड़   उड़  जाती   
मुँह में  तिनका दबा  के  लाती  
  लगा-लगा कर एक एक तिनका  
अपना  सुन्दर    नीड़    बनाती
  
नन्ही नन्ही आँख नचा-उड़ जाये चिड़िया फुर्र

खेतों - खलिहानों  में  जाती
चुन -चुन करके दाना लाती
चीं -चीं करते निज बच्चों के
  मुँह में चुग्गा डाल  खिलाती 
सुना के लोरी बच्चो को - उड़ जाये चिड़िया फुर्र  

दिन भर चिड़िया उडती रहती
थकने  का वो  नाम  न  लेती
हमें  सीख   वो दे   कर जाती
श्रम  करके चढ़  जावो  चोटी
 लक्ष्य आसमां का देकर - उड़ जाये चिड़िया फुर्र। 



गीता भवन
२५  जुलाई ,२०१०

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