रविवार, 29 जुलाई 2012

बिरखा आई री



बादीलो बोल्यो आज प्यार से
सावण आयो री 
हरियाली छा गयी सखी री
बिरखा आई  री

बादल छाया आसमान में
धरती महकी री 
मौर-पपीहा बोलण लाग्या
मनड़ो हरक्यो री 
लसकरियो बोल्यो आज प्यार से
बिरखा आई री

भरग्या सगला ताल तलैया
परनाळा चाल्या री 
कोयल-दादुर बोलण लाग्या
शुभ दिन आयो री 
छैलो बोल्यो आज प्यार से
बिरखा आई री

हळिया ने हाथा में पकड्या
परण्येा खेतां चाल्यो री 
मिरगानैणी कजळी गावै
मन हुळसायो री 
पीवजी बोल्या आज प्यार से
बिरखा आई री

इन्द्रधनुष के रंग रंगी  मैं 
पायल रुणझुण बोल री 
ऊँचे डाले हींड़ो घाल्यो
सखियाँ झालो  देवै री 
रसियो बोल्यो आज प्यार से
बिरखा आई री। 

कोलकत्ता
२१ जुलाई, २०११

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