यह कैसा है कलकत्ता
मेरी समझ में नहीं आता
माँ काली का कलकत्ता
बड़ा विचित्र है कलकत्ता
हाथीबगान में हाथी नहीं
बागबजार में बाग नहीं
बहुबजार में बहु नहीं
फूलबगान में फूल नहीं
राजाकटरा में राजा नहीं
पार्क सर्कस में सर्कस नहीं
प्रिंसेस घाट पर प्रिंसेस नहीं
बाबुघाट पर बाबू नहीं
निम्बूतला में निम्बू नहीं
बादामतला में बादाम नही
मछुवा बजार में मछुवा नहीं
दरजीपाड़ा में दरजी नहीं
बैठक खाना में बैठक नहीं
बैलगछिया में बैल नहीं
घासबगान में घास नहीं
बाँसतल्ला में बाँस नहीं
यह कैसा है कलकत्ता
मेरी समझ में नहीं आता
माँ काली का कलकत्ता
बड़ा अजब हैं कलकत्ता।
कोलकत्ता
११ सितम्बर, २०१० वहा रे कलकत्ता
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